चाणक्य-नीति ( दोहे )

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*चाणक्य-नीति के दोहे* अर्जित धन अन्याय से,ठहरे दस ही वर्ष। आते ग्यारह वर्ष ही,होता है अपकर्ष।। ज्ञान-बहुलता है यहाँ, पर हैं विघ्न अनेक। स्वल्प अवधि में सीख लें,रख जल-दुग्ध-विवेक।। देखा-सुना न ...

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