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चाणक्य नीति के दोहे पुस्तक संचित ज्ञान जो, धन जो दूजे हाथ। कठिन समय आते उभय,कभी न देते साथ ।। करें दुष्टता दुष्ट सँग, सज्जन सँग उपकार। जगत-धर्मिता है यही, यह ...