ग़ज़ल -------- इलाही मैं तेरी रज़ा चाहता हूं ।  के दोनो जहां में जज़ा चाहता हूं ॥ महक जाये मेरा हर इक रूआं रूआं । कोई ऐसी दिलकश फ़ज़ा चाहता हूं ...

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