ज़िन्दगी की साँझ

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 न जाने कब किस पल  इस जिंदगी की शाम हो जाए  बेबस लाचार समय का पंछी उड़ेगा  कर्मों का लेखा जोखा साथ लिए  न जाने किस शहर किस जगह  शब्दों की ...

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