मन की पीड़ा :- --- लौट आवो आंसुओं की है मेरी सौगन्ध तुमको,  रिमझिम का मौसम निमन्त्रण दे रहा है । कितने बरस गुज़रे तुम्हे देखा नहीं है, नयन का सावन ...

×