शिवाजी

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पर्वत जैसे अडिग हौंसले, लेकर आए धरती पर। बाधाओं को पार कर लिया, जा पहुंचे बुलंदी पर। राष्ट्र को सर्वोच्च शिखर पर, खुद को उसका रक्षक रखा, धरा शूरवीरों की है ...

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