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नवगीत देख पिया फागुन की छटा, ये बरबस मन ललचाए। छेड़ -छेड़ पुरवा सुहानी,खींचे ऑंचल ले जाए। तन-मन डोले पीहु बोले,अंग-अंग बहका जाए। पहन बसंती वस्त्र डोलुॅं,अन्तर बगिया खिल जाए। मैं ...