नवगीत

1 Part

231 times read

12 Liked

नवगीत देख पिया फागुन की छटा, ये बरबस मन ललचाए। छेड़ -छेड़ पुरवा सुहानी,खींचे ऑंचल ले जाए। तन-मन डोले पीहु बोले,अंग-अंग बहका जाए। पहन बसंती वस्त्र डोलुॅं,अन्तर बगिया खिल जाए। मैं ...

×