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अमावस की निष्ठुर परछाई भी पूर्णमासी की तरुणाई बन जाती है।। पतझड़ की नीरस अंगड़ाई भी बसंत की मोहक पूरवाई बन जाती है।। साजन!,, अगर तुम साथ हो,,,, ----विचार एवं शब्द-सृजन---- ...