विभावरी

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उलझ गई विभावरी, पूनम की चाँदनी में, भ्रमित चकित बावरी, फैलाए स्याह आँचल, टंक जाती है चुनर, झिलमिल सितारों से! बेअसर क्यों अंधियारा?? क्या रवि अस्ताचल नहीं?? कैसी ज्योत्सना फैली है?? ...

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