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बेटी की आह ( शोषण और बलात्कार) कोई रोटियां हैं हम नहीं,हां बेटियां तेरी हैं हम नोंचते हों बोटियां ,आती नहीं है क्यों शरम। बेटियां तेरी बनूं या, हूं किसी भी ...