पराया धन

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उलझ गई हूँ खुद ही खुद में, ताने-बाने की बेख़ुद में। लोग कहेंगे जाने क्या-कुछ, भ्रमित हुई हूँ खुद ब खुद में। नोंच लिए पर दे दे ताना, घर पराया मेरा ...

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