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*दीप जलाना* हो नीम अंधेरा दरिया भी उफान पर हो लहरें शोर मचाती मचल रहीं तटबंध भी हो डूब रहे दूर देश से आए मुसाफिर कश्ती डगमग डोले सूझे नहीं राह ...