शक की बीमारी जिस घर में प्रवेश किया है  वह धर , धर नहीं रहा है  धनवान होकर भी वह निर्धन सा जिंदगी जिया हैं।। रोज-रोज खट-खट रोज-रोज विलाप वहां हुआ ...

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