लेखनी कहानी -12-Mar-2024

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सम्भाला था वक्त की जुबान आज बन उफान तनी रही सख्त रख रवैया आज तुफान सनी रही खामोश निगाहो को खामोशी से सम्भाला था दारमदार हमने रख अपनी जुबां से सम्भाला ...

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