1 Part
266 times read
10 Liked
अपनी शरण में लीजे नाथ, मोहे अपनी शरण गह लीजे। जन्म-जन्म से दर्श की प्यासी, इच्छा पूरण कर दीजे नाथ मोहे.. हुई बाबरी वन-वन भटकी, तेरी सुरतिया मन में अटकी, ढूँढ़ ...