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फाल्गुनी बयार है सुरभित, कुछ रिश्ते चलो संवार लें। नेह मिश्र रंगो के संग में, कड़वाहट मन की बिसार लें। नहीं गए भैया के घर भी, बीत गए कई सालों साल। ...