लेखनी प्रतियोगिता -28-Mar-2024

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आंखें सिसक रही थी दिल बोल रहा था जरा ठहर जा संदीप पगडंडी मोड़ आ रहा है।। किसी का कोई नहीं इंसान मुखौटा बदल रहा पानी की तरह एक डंड से  ...

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