फ़ितरत को ज़माने की, ये क्या हो गया है

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फ़ितरत को ज़माने की, ये क्या हो गया है भाई अपने भाई से, जुदा हो गया है | रिश्तों की मर्यादा ने , सीमाएं लांघ दी हैं इंसानियत का जज़्बा , ...

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