क्या मिलेगा मजहबों को मजहबों से लड़ा कर । क्या मिला किसी को किसी का दिल दुखा कर ।। फकत नफरतों से तो नफरतें बढ़ती है खुदारा । पाक साफ मुहब्बत ...

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