कर्मो का भोग निश्चित है। पोते की मालिश करते हुए दादी की नज़र उसके खाली गले पर पड़ी तो वह गुस्से से चीख़ पड़ी, ‘‘बहू, ओ बहू….कहाँ मर गई….. अरे…मुन्ने के ...

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