1 Part
288 times read
12 Liked
*दो कतरे की प्यास* नौ मास कोख की तपती धरा में तृषित रही अनचाही थी तभी भीतर ही भीतर सुलगती रही कभी दुलार से जननी ने भी सहलाया था मेरा भ्रूण ...