दाग कविता

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    दाग हे प्रभु! आपकी हर रचना खास है,  फिर चांद में क्यूं दाग है।  सूरज उगलता क्यूं  आग है,  दाल में क्यूं काला है,  चोरी, डकैजाातत और धोखाधड़ी  हर ...

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