एक उजली-सी साँझ वो ढलती हुई

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नमन मंच विषय--एक उजली-सी साँझ वो ढलती हुई आज फिर बहके कदम आ गये उसी जगहा पर जहाँ से हम उठकर बिछड़े थे,फिर न मिलेंगे कभी ये सोचकर था किनारा दरिया ...

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