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दो पंछी थे अनजाने से, नज़रों से कुछ पहचाने से, लंबी उड़ान से थके हुए, इक दूजे के परवाने से। आ बैठे इक गलियारे में, कुछ उजले से अँधियारे में, सकुचाए ...