शायरी

1 Part

457 times read

24 Liked

गम उठाऊँगा तो कुछ और संवर जाऊँगा में तेरी ज़ुल्फ़ नही जो खुलके बिखर जाऊँगा ,जो कुछ देना है मुझे बिन मांगे दे दे हाथ फैलाऊंगा तो नज़रों से गिर जाऊँगा ...

×