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नाव किनारे लाइए, केवट खेवनहार। राम लखन अरु जानकी, जाना गंगा पार।। केवट खड़ा करबद्ध हो, मैं कब नाव चढ़ाय। चरण धूल कौतुक भरी, मानव देत बनाय।। रज ने मूरत शैल ...