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तुम्हारी आंँखों में(ग़ज़ल) प्रतियोगिता हेतु तुम्हारी आंँखों में क्यों हम अपनी अहमियत खोजें, जिन आंँखों में सदा ही हम खटकते ही रहे हैं। तुमने ही मेरी ज़िन्दगी वीरान है किया, तेरी ...