लेखनी कविता -26-Apr-2024

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#दिनांक:-26/4/2024 #शीर्षक:- कलिका खिलकर पंखुरी सी बिखरे। क्षणभंगुर यह दुनिया, दिखती विशाल पर होती क्षणिक, मेघों की क्षणिकायें भटकता पथिक, जाना है किस ओर?किस ओर चल पडती जीवन के उद्देश्य में ...

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