1 Part
61 times read
0 Liked
सत्यकी नाव (कविता) स्वेच्छिक प्रतियोगिता हेतु कलयुग पांँव है आज फैलाया, सत्य की नाव लगा है डुबाया। छल प्रपंचों ने डाला है डेरा, भाई- भाई का दुश्मन बनाया। हे प्रभु! मेरी ...