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#दिनांक:-27/4/2034 #शीर्षक:-उम्मीद हाँ निस्वार्थ था मेरा प्रेम तुमने समझने में भूल की, मुझमें घुलने की जिद की, मुझे आजमाने की चाह की, चुनौतीपूर्ण राह की....! आह....! क्यूँ तोड़ा मेरा भरोसा, क्यूँ ...