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भुला कर शिकवे शिकायत, मैं उन्हीं राहों पर बढ़ गया, फना हुआ था मैं जहाँ से, उन्ही गलियों में क गया। कैसा जादू है मुहब्बत का, खुमार में डूबा रहता हूँ, ...