1 Part
30 times read
5 Liked
रोज शाम ढले जब घर जाता हूँ नन्ही सी बेटी को सोता पाता हूँ सुनती हो,कब नींद में खोई है ये कुछ खाया या भूखी सोई है ये इतना सा सुनते ...