सन्नाटे की बस्ती... " वैसे ये बहुत ताज़्जुब की बात है नहीं... हमें अपने नाम और कुछ धुंधली यादों के अलावा कुछ भी याद नहीं है, आख़िर हमारे सिर पर चोट ...

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