तेरी जुल्फों से

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रोशनी छनकर तेरी जुल्फों से आने लगी  ये आँखे भी कैसे कैसे ख्वाब दिखाने लगी  हँसती थी कभी ये भी दीदार-ए-यार से  अब तो उनकी तस्वीर भी इनको रुलाने लगी  बस ...

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