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जो नही हो तुम,तो वो लफ़्ज हमे काटते हैं गम छुपा कर सिर्फ बज़्म में ख़ुशी बाँटते हैं मसअला यही रहा की वो ग़म छुपा ही नही कल जिसे चाहते थे ...