लेखनी कहानी -15-May-2024

0 Part

29 times read

4 Liked

उठे या के बैठे के दौड़ लगाये सियासत की भाषा समझ ही ना आये विरासत में हमकों मिली ठोकरें हैं गरीबी है दलदल, निकल ही ना पाये आठो पहर की करें ...

×