1 Part
40 times read
4 Liked
रिश्तों की डोर(कविता) स्वैच्छिक प्रतियोगिता हेतु रिश्तों की डोर जो मिठास लिए रहती है, अपनेपन का सदा एहसास लिए रहती है। अनजानों को भी यह अपना बना लेती है, अपनापन दम ...