मुझ को शिकस्त-ए-दिल का मज़ा याद आ गया  तुम क्यूँ उदास हो गए क्या याद आ गया !! कहने को ज़िंदगी थी बहुत मुख़्तसर मगर  कुछ यूँ बसर हुई कि ख़ुदा ...

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