पर्वत तेरी ख़ैर नहीं (रुबाइ)

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हक़ छीना है मज़दूरों का जिसने भी अब ख़ैर नहीं, आग लगा के रख देंगे हम नत्थू खैरे गैर नहीं! आंख से मंज़िल दूर नहीं हम बेटे दशरथ मांझी के, खोद ...

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