तो चर्चा ख़ूब होती है.. (ग़ज़ल)

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ज़रूरत सख़्त होती है जवानी में बहारों की,  तभी तो फ़िक्र होती है बुढ़ापे में सहारों की।  जब उसके होट आ जाते हैं ख़ुद से मेरे होटों तक,  भड़क जाता है ...

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