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बग़ावत पर उतर आती है जब मज़दूर की ताक़त, बहुत कमज़ोर पड़ जाती है तब तैमूर की ताक़त। उनके ख़ूं में है तेज़ाब, जलती आग सीनों में;उनका क्या बिगाड़ेगी इलाही- नूर ...