अन्धायुग और नारी--भाग(१०)

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मैं और चंपा चुपचाप उसी टीले के पास बैठकर उस बाँसुरी वाले की बाँसुरी सुनने लगे,बहुत ही मीठी बाँसुरी बजा रहा था वो,मैं तो जैसे उसकी बाँसुरी में खो सी गई,वो ...

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