त्रिपदियाॅं

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*त्रिपदियाँ* हो गई है शून्य अब संवेदना भी, हो गई कुंठित सभी की चेतना भी। अब न होती मन में कोई वेदना भी।। क्या हो गया संसार को भगवन तेरे, लौट ...

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