रुबाइ

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मुमकिन नहीं कि दिल में मुहब्बत की बू न हो,  उठ जाऊँ मैं जहाँ से अगर दिल में तू न हो।  दिल को मसल-मसल के ज़रा दिल टटोलिये; मुमकिन नहीं कि ...

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