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बीती रातें (पूर्णिका) प्रारंभी नेह : ज़िक्र न करे कोई अब भूल से भी बीती रातों की, कत्ल हो गया था सबके सामने ,मेरे जज़्बातों की, हम तो समझ लीजिए अवाक,जड़वत ...