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मुतमईन हूँ अपनी ज़िन्दगी से क़ुदरत से हिरासा होना मुझे लाज़िम ही नही मेरा वुजूद तो क़ायम था ज़माने में इतना कमज़ोर निकला मुझे मालूम ही नहीं एक बार अता कर ...