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प्रतियोगिता हेतु रचना पागल नदी ********** पावस ऋतु की मदिरा को पीकर नदी हो गई पागल। झूम के ऐसे नृत्य कर रही जैसे पैरों में पड़ी हो छागल।। छम छम करती ...