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विद्या-पद्य। न अब कोई चाह बची।(कविता) भाव-उदासी। जो गाती थी गीत कभी, अब भूल चुकी हूँ। मैं गम के झूलों में निरन्तर, झूल चुकी हूँ। छन-छन छनकती थी, पैरों में कभी ...