लेखनी कविता -08-Aug-2024

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#दिनांक:-8/8/2024 #शीर्षक:-इन्सानियत खो गई बिछुड़न की रीति में स्वयं को पहचाना भीडतंत्र में बहुत प्रतिभावान हो जाना ।।1। नयन कोर बहते रहे शायद कभी सूखे राधा का चोला उतार पार्वती सरीखे ...

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