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कवि की अभिलाषा लिख जाऊॅं कुछ लेख लेखनी से अपने मैं कर पाऊं सब पूर्ण लोकहित के सपने मैं कर जाऊॅं इतिहास अमर अपनें अपनों का शोषण हो ना कभी शोषितों ...